फ़ज़्ल-ए-आक़ा से रब की 'अता से
क्या हसीं रंग पाया है सेहरा
प्यारे दूल्हा ! मुबारक हो तुम को
ये ख़ुदा ने दिखाया है सेहरा
वालिदा तेरी ख़ुश हो रही है
और वालिद दु'आ दे रहे हैं
सदक़े में कमली वाले नबी के
मेरे बेटे ने पाया है सेहरा
बहनें फूले समाती नहीं हैं
कुछ ज़बाँ से भी कहती नहीं हैं
पढ़ के अल-हम्दु बहनों ने तेरी
तेरे माथे पे बाँधा है सेहरा
तेरे बहनोई ने क्या किया है
तुझ को मस्जिद में पहुँचा दिया है
जा के मस्जिद में शुक्र-ए-ख़ुदा कर
हर ख़ुशी ले के आया है सेहरा
तेरे मामू भी आए हैं घर से
तेरी मुमानी कहती है कब से
देख लो भानजे का तुम्हारे
किस-क़दर जगमगाया है सेहरा
फूफी-फूफा का है तुझ से कहना
दुख कभी हो तो ख़ुश हो के सहना
अपने माँ-बाप को दुख न देना
ये सबक़ तुझ को लाया है सेहरा
ख़ालू-ख़ाला भी ख़ुश हो रहे हैं
और तुझ को ये समझा रहे हैं
हर बशर देख कर तुझ को कह दे
तू ने कैसा निभाया है सेहरा
चाचा-ताया सभी कुन्बे वाले
कह रहे हैं वो नाज़ों के पाले
ग़ौस-ए-आ'ज़म को दिल में बसा ले
हर बला से बचाएगा सेहरा
नशीद-ख़्वाँ:
अयूब रज़ा संभली