Kursi par koi bhi baithe raja toh mera Khwaja hai
Sare hind ka hai raja mera Khwaja Maharaja
Haidar ka ladala hai woh Zahra ka laal hai
Beshak mera Moin Muhammad ki aal hai
Deewanon ko kis baat ka akhir malaal hai
Khwaja ko apni praja ka poora khayal hai
Har ankh chahti hai ziyarat Moin ki
Har dil me bas gayi hai mohabbat Moin ki
Iss Sarzamin e Hind ke shahon ne keh diya
Mehshar tak rahegi chahat Moin ki
Ham garibon ki sadaon ne bulaya hai tujhe
Hind ka shah Muhammad ne banaya hai tuje
Kaise aayega koi harf hukumat pe teri
Panjatan paak ne kursi par bithaya hai tujhe
Pyaara hai Hasnain ka beshak Nabi ki aal hai
Sanjar wala peer mera Saiyyada ka laal hai
Mast hai mastan hai har haal mai khushal
Chishtiya daaman ko joh pakda woh maalamaal hai
Tu bardabar ki thokare ik baar khake dekh
Milta hai kya kisi se zaraa aazmake dekh
Tu jin se mil raha hai yeh saare ghulam hai
Raja ko dekhna hai toh Ajmer jaake dekh
Dar e Khwaja pe sawali ko khada rehne do
Sar nadamat se juka hai toh juka rehne do
Mujko mil jaaye ga sadka mai chala jaunga
Kasa e Dil mera kadmo me pada rehne do
Khud hi farmayenge mujrim pe woh rehmat ki nazar
Mujko Khwaja ki adalat me pada rehne do
या ख़्वाजा, या ख़्वाजा, या ख़्वाजा, या ख़्वाजा
ख़्वाजा, या ख़्वाजा, ख़्वाजा, या ख़्वाजा
मैं गदा-ए-ख़्वाजा-ए-चिस्त हूँ, मुझे इस गदाई पे नाज़ है
मेरा नाज़ ख्वाज़ा पे क्यूँ न हो, मेरा ख़्वाजा बंदा नवाज़ है
उस के करम के सब हैं भिखारी, क्या राजा महाराजा है
कुर्सी पर कोई भी बैठे राजा तो मेरा ख़्वाजा है
सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा
सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा
हैदर का लाडला है, वो ज़हरा का लाल है
बेशक मेरा मुईन मुहम्मद की आल है
दीवानों को किस बात का आख़िर मलाल है
ख़्वाजा को अपनी परजा का पूरा खयाल है
मुईनुद्दीन...
कुर्सी पर कोई भी बैठे राजा तो मेरा ख़्वाजा है
सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा
हर आँख चाहती है ज़ियारत मुईन की
हर दिल में बस गई है मुहब्बत मुईन की
इस सरज़मीने-हिन्द के शाहों ने केह दिया
मेहशर तलक रहेगी हुकूमत मुईन की
मुईनुद्दीन...
कुर्सी पर कोई भी बैठे राजा तो मेरा ख़्वाजा है
सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा
हम गरीबों की सदाओं ने बुलाया है तुझे
हिन्द का शाह मुहम्मद ने बनाया है तुझे
कैसे आएगा कोई हर्फ़ हुकूमत पे तेरी
पंजतन पाक ने कुर्सी पे बिठाया है तुझे
मुईनुद्दीन...
कुर्सी पर कोई भी बैठे राजा तो मेरा ख़्वाजा है
सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा
प्यारा है हसनैन का, बेशक नबी की आल है
संजर वाला पीर मेरा सैयदा का लाल है
मस्त है, मस्तान है, हर हाल में खुशहाल है
चिस्ती-ए-दामन को जो पकड़ा वो मालामाल है
मुईनुद्दीन...
कुर्सी पर कोई भी बैठे राजा तो मेरा ख़्वाजा है
सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा
तू दरबदर की ठोकरें इक बार खाके देख
मिलता है क्या किसीसे ज़रा आज़मा के देख
तू जिन से मिल रहा है ये सारे ग़ुलाम हैं
राजा को देखना है तो अजमेर जाके देख
मुईनुद्दीन...
कुर्सी पर कोई भी बैठे राजा तो मेरा ख़्वाजा है
सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा
दरे-ख़्वाजा पे सवाली को खड़ा रेहने दो
सर नदामत से झुका है तो झुका रेहने दो
मुझको मिल जाएगा सदका मैं चला जाऊंगा
कासा-ए-दिल मेरा कदमों में पड़ा रेहने दो
खुद ही फरमाएंगे मुजरिम पे वो रेहमत की नज़र
मुझको ख़्वाजा की अदालत में पड़ा रेहने दो
मुईनुद्दीन...
कुर्सी पर कोई भी बैठे राजा तो मेरा ख़्वाजा है
सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा