Mahfile Ashiko Ki Ye Sajti Rahe Aur Main Ishq Ke Geet Gata Rahu Naat Lyrics

महफिले आशिकों की यह सजती रहे और मैं इश्क के गीत गाता रहू
या खुदा मुझको भी तरज़े हस्सान दे इश्क में मैं भी नाते सुनाता रहू

एक दिन आरज़ू पूछ बैठे नबी बोले बू-बकर है दिल की हसरत यही
सामने आप हो आपकी नात हो और मैं आप पर सब लुटाता रहू

बात निकले अगर उनका चेहरा है क्या बात निकले अगर उनका तलवा है क्या
तो कभी फूल रख दूं मैं तमसील में तो कभी सामने चांद लाता रहूं

तसकीरा सबसगुंबद का छेड़ो ज़रा आए आंखों को दीदार का वो मज़ा
खुद को तैबा में महसूस करता रहूं नूर ही नूर में मैं नहाता रहूं
 
छोड़कर उनकी चौखट को जाऊं कहा मेरे सरकार है मालिके दो जहां
सदका हसनैन का वो लूटाते रहे बैठ कर मैं भी चौखट पे खाता रहू

आखरी ये तमन्ना है बीमार की नौकरी हो अता उनके दरबार की
ज़यरो को खजूरे खिलाता रहू और भर–भर के ज़मज़म पिलाता रहू

उनकी बातों की बाते करूं रात भर ज़िक्र उनका सुनाऊं सूनू रात भर
रात भर हुस्न पर उनके हो तबसरे रात भर उनपे दिल मैं लूटाता रहू
 
पढ़ के अज़हर दुरूद उन पे सुबह हो व शाम दरमिया से मिटा दे हर एक फासला
और आका के नज़दीक होता रहूं और आका को नज़दीक लाता रहूं ।

शायर; अज़हर फारूकी बरेलवी
नात–खां; सैफ रज़ा कानपुरी

Lyrics: Azhar Farooqi Barelvi
Naat Khuwa: Saif Raza Kanpuri



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