ऐ खुदा है दुआ सदक़ाए मुस्तफा, मजहबे अहले सुन्नत सलामत रहे ।
दीने हक़ की हिफाज़त की खातिर सदा, मसलके आला हजरत सलामत रहे ।
ऐ बरेली तेरी अज़्मतो को सलाम, ऐ बरेली तेरी रीफअतो को सलाम ।
तुझ में है जलवागर सुन्नियो के इमाम, ये तेरी मरकजियत सलामत रहे ।
वो मुज़ददीदे आज़म फ़क़ीहे ज़मा, जिनकी अज़मत के चर्चे जहा दर जहां ।
नायबे गौसे आज़म है वोह बेगुमा, उनकी शाने इमामंत सलामत रहे ।
लाख हिले करे दुश्मनाने राजा, खूब जलते रहे हासिदाने रज़ा ।
चारो जानिब गड़े है निशाने रज़ा, उनकी हर शानो शौक़त सलामत रहे ।
अल-अमा शाहे अहमद रज़ा, और खता कहने वाला ही खुद कर रहा है खता ।
गौसो ख्वाजा के साये में मेरा रज़ा, गौसो ख्वाजा की नुसरत सलामत रहे ।
नायबे गौसे आज़म का है ये क़लम, जिसने बद-मजहबो के किये सर कलम।
चारो जानिब गड़े है रज़ा के अलम, उनकी शाहाना सतवत सलामत रहे ।
प्यारे सुन्नी तेरी तो बड़ी शान है , सुन तेरे पास तो कन्ज़ूल ईमान है ।
आला हजरत का तुझपर ये एहसान है, ये करम ये इनायत सलामत रहे ।
शुक्र है रोज़े महशर हुज़ूरे खुदा, मिल गये पेश करने को अहमद रज़ा।
है ये फरमाने आले रसूले खुदा, ये मुक़द्दस अमानत सलामत रहे ।
रहमतो भरा तेरा दामान है, पास तेरे ख़ज़ाइने इरफान है ।
मेरे सदरुल फ़ाज़िल का एहसान है, ये अता ये सआदत सलामत रहे ।
मेरे सदरे शरीयत का फैज़ान है, खूब निखरा ये सुन्नी गुलिस्तान है।
लब पे हर गुल के नूरानी मुस्कान है, ये बहारे शरीयत सलामत रहे ।
अशरफी तू कि हमशक्ले ग़ौसुल वरा, रुख तेरा हुस्ने खुबा का है आईना ।
है ये फरमाने मौलाना अहमद रज़ा, तेरी शाने सयादत सलामत रहे ।
शह जियाउर रज़ा मरहबा-मरहबा, शर्क से गर्ब तक जिनकी फैली ज़िया ।
फ़ज़ले रहमान सा हमको रहबर दिया, या खुदा ये अमानत सलामत रहे ।
वोह मुजाहिदे मिल्लत इमामे हरम, गौसो ख्वाजा का जिनपर है बेहद करम ।
जिनकी अज़मत के चर्चे अरब ता अजम, उनका ताजे फ़ज़ीलत सलामत रहे ।
वोह मुजाहिदे मिल्लत खुदा के वली, जो है अब्बासिओ हाशमी क़ादरी ।
जिनके आगे झुके अहले बातिल सभी, उनकी शाने ज़लालत सलामत रहे ।
वोह मुजाहिदे मिल्लत खुदा के वली, आशिके गौसो ख्वाजा फिदाए नबी ।
चिश्तिओ क़ादरी रज़वीओ अशरफी, उनकी शाने विलायत सलामत रहे ।
चिश्तिओ क़ादरी रज़वीओ अशरफी, नक्शबन्दी सोहरवरदी जो है सभी ।
गुलशने सुन्नियत के हंसी फूल है, उनकी तेहज़ीबे निकहत सलामत रहे ।*
क़ादरी ही जियूँ क़ादरी ही मरु, रोज़े महशर भी में क़ादरी ही उठूं ।
नज़आ में क़ब्र में हश्र में हर जगह, निस्बते कादरियत सलामत रहे ।
ए हबीबी तेरी तो बड़ी शान है, गौसो-खवाज़ा के तू ज़ेरे दामान है ।
ये मुजाहिदे मिल्लत का फैज़ान है, ये शरफ़ ये सआदत सलामत रहे ।
Submit By Huzaif Habibi Qadri